Friday, November 27, 2015

स्मार्ट शहर

आजकल स्मार्ट शहर का बड़ा हल्ला चल रहा है, स्मार्ट शहर, स्मार्ट शहर क्या होता है ये स्मार्ट शहर? कैसे बन जायेंगे स्मार्ट शहर भैय्या अपने देश में?
स्मार्ट शहर में हम आप ही रहेंगे ना की नए स्मार्ट नागरिकों की फैक्ट्री डाली हुई है कहीं मेक इन इंडिया के तहत | अरे भैय्या जब आप हम ही रहेंगे तो अभी जिस शहर में हैं वही स्मार्ट शहर क्यूँ नहीं बन गया अब तक| स्मार्ट शहर तो तब बनेगा भैय्ये जब शहर में व्यवस्था कायम रहे, सभी कार्य सुचारू रूप से और समय पर हो जाएँ और हम आप हैं कि व्यवस्था की तो @*#*&@ करने में विश्वास रखते हैं| तो भैय्ये स्मार्ट वार्ट शहर तो भूल जाओ और लगे रहो जो कर रहे हो उसमे, अपन का कुछ नहीं होने का.....

फिल्म सिकंदर-ए-आज़म में एक गीत राजेंद्र कृष्ण साहब ने लिखा था जो बहुत मशहूर भी है और देशभक्ति से ओतप्रोत भी है, उस गीत की प्रेरणा से स्मार्ट शहर के ख्याल पर एक गीत बना है| श्री राजेंद्र कृष्ण और संगीतकार श्री हंसराज बहल जी से माफ़ी मांगते हुए गीत पेश करता हूँ .... इस गीत के बनाने में मेरी छोटी बहन पद्मजा का भी योगदान है जिसके लिए उसे धन्यवाद.....
जहाँ चौक चौक पर गाय भैंसों का दिन भर रहता है बसेरा,
जहाँ गलियों और कूचों में है, बजबज कचरे का ढेरा,
वो स्मार्ट शहर है मेरा, वो स्मार्ट शहर है मेरा|
[जय (आपके शहर का नाम)]

ये धरती वो जहाँ जनता, हर नदी बनाये नाला,
जहाँ गंगा, जमुना, कावेरी, बहते बहते रुक जाये,
शीतल जल में उद्योग जहाँ हर दिशा से ज़हर मिलाये,
जहाँ प्रदुषण का काला बादल, मलिन करता सूर्य सुनहरा||१||
वो स्मार्ट शहर है मेरा .........

अलबेलों के इस शहर में जी, रास्तों के हाल निराले,
सब दौड़ रहे इन पर देखो, नियमों को जेब में डाले,
जहाँ व्यवस्था की ऐसी तैसी हर कोई चाहे करना,
जहाँ रास्तों पर गड्ढ़ों का हो बारह महीने का डेरा||२||
वो स्मार्ट शहर है मेरा......

जहाँ आसमान से बातें करते, मस्जिद, चर्च, शिवाले,
कुछ सोते अपने महलों में कुछ फुटपाथ पे रात बिता लें,
जहाँ गुंडों और दबंगों से नित आम आदमी हारे
जहाँ सत्य, अहिंसा धर्म का सब पीटें झूठा ढिंढोरा||३||
वो स्मार्ट शहर है मेरा......

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