Friday, November 27, 2015

मन पाती

लो भैय्ये फिर एक बार हमने अपने सर जूतियाँ पडवा लीं| हमें शौक ही है अगले से बे इज्ज़त होने का| पता नहीं किस मादर्णीय(नया शब्द है भैय्ये, असहिष्णुता से जन्मा, धन्यवाद रवि भैय्या)) के दिमाग में ये बात आई की हमें पकिस्तान से क्रिकेट खेलना चाहिए, खेलना तो चाहिए ही, उसे बा इज्ज़त यहाँ बुलाना भी चाहिए| और हमारा मादर्णीय मीडिया तो बाट ही जोह रहा था की कुछ ऐसा मिले जिसे उछाला जा सके तो भैय्ये लग गया मीडिया इस बात के पीछे, और आखिर बी सी सी आई (जो श्रीनिवासन के बाद अपनी धरती खोज रही है) ने भी घुटने टेके और भेज दिया निमंत्रण पकिस्तान को| अरे भैय्ये जहाँ से बिन बुलाये ही इतने घुसे चले आ रहे हैं उन्हें और बुल्लौवा देने की क्या पड़ी है पर नहीं हमारे मादर्णीय मीडिया, और तथाकथित सेक्युलर इंडियन जमात को घुसपैठ से कुछ लेना देना नहीं है उन्हें तो विश्व में भारत की छवि सुधारने का भूत सवार हो गया है सो भेजो बुल्लौआ क्रिकेट टीम को, फूहड़ कॉमेडियनों और कलाकारों को| अब भैय्ये तुम कहोगे की कलाकारों को बक्श दो, कला का कोई धर्म, जात, पात नहीं होती| तो भैय्ये मान लो की हमारे पडोसी से हमारी जानी दुशमनी हो गई है मुहल्ले में और ढेर जूतम पैजार, यहाँ तक की सर फुट्टवल भी हो चुका पर हमारी बीबी पडोसी की बीबी को घर बुला कर खातिर कर रही है तो हम क्या चुप बैठेंगे | ना भैय्ये अपन तो बीबी को भी नहीं छोड़ेंगे, अरे जब यहाँ भाई भाई में दीवारें खड़ी हो जाती हैं तो अड़ोसी अड़ोसी को कौन पूछता है भैय्ये|
खैर जो भी हो ये हमारा व्यक्तिगत मामला है, इसे हम आपस में सुलझा लेंगे|
तो भैय्ये हासिल जमा ये की पकिस्तान को मौका मिल गया फिर एक बार चौका लगाने का और उसने हमारे खुशबु में भीगे निमंत्रण पत्र में मिर्चें भर उसे पुंगली बना कर वापस भेज दिया| हमारे मादर्णीय मीडिया और मादर्णीय सेक्युलर जमात के बाशिंदों को ये पुंगली मुबारक| अब सोचने की जरूरत नहीं है भैय्ये की इसका क्या करें जग जाहिर है क्या करना चाहिए, वही करो|
पोस्ट में कुछ तथ्य हो न हो एक नया शब्द तो मिला ही सोचने पर मजबूर करने के लिए| इसका उपयोग सभ्य समाज में बहुत आदरणीय तरीके से किया जा सकता है इसमें कोई शक नहीं|

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