अपने राम अपनी औरत से बहुत नाराज़ हैं, ये कैसी करमजली पत्नी है कि बोलती ही
नहीं कहीं चलने को! उन शरीफजादियाँ को देखो कैसे एक के बाद एक अपने
अपने आदमी से जिद कर रही हैं “चलो न हमको चाँद पर ले चलो, अजी हम तो यहाँ
रह नहीं सकते, बरदाश्त नहीं होता अब, चलो जी कहीं दूर निकल जाते हैं | चाँद
सितारे में न जाने क्या लटका पड़ा है कि जिसे देखो उसे ही अपनी धरती छोड़
चाँद पर जाने का भूत सवार हो गया है| गुजारिश है सरकार से की इन सभी
(शरीफ)जादों और (शरीफ)जादियों को रॉकेट मुह्हैया कराया जाये रियायती दरों पर|
अब तो हद हो गई बर्दाश्त की हमारे भी, हर ऐरा गैरा नत्थू खैरा खड़ा हो कर बकने लग पड़ा है पर हमारी औरत है कि चुप लगा कर बैठी हैं|
खैर, अपनी औरत को तो हम ठीक कर लेंगे पर अभी जरा इन “ऐ आई बी” के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं से तो निपट लें| अच्छा भैये ऐसा क्या हो गया इन महानुभावों को की बजने लगे सब तरफ से| इसी धरती के बाशिंदों के प्यार और दुलार से तो तुम ज़र्रे से आफ़ताब बन गए वरना पड़े रहते किसी कोने में हमारी तरह| अब अर्श पर पहुँच गए तो ये फर्श बरदाश्त नहीं हो रहा तुमको| और उलटे इसे ही कोस रहे हो कि ये तुम्हे सहन नहीं करता|
अपना देस तो भैय्ये, सदियों से इतना सहिष्णु रहा है कि कोई कहीं से भी आ कर बरसों जुलम करे और फिर जाते जाते माल असबाब भी लूट ले जाए तो भी हम कुछ नहीं कहते| इतना सहिष्णु रहा है कि हमारी सारी इतिहास की किताबें उन्ही लुटेरों के बखान से भरी हुई हैं और हम अपने बच्चों को वही झूठा इतिहास पढ़ाते हैं| इतना सहिष्णु रहा है कि मज़हब के नाम पर दो टुकड़े होने के बाद भी ज्यादातरों को यहीं पाल रहा है और तो और खास सहुलतें भी दे रहा है| इतना सहिष्णु रहा है की तुम्हारे जैसे कईयों को सर माथे पे बिठा रखा है| और तुम कहते हो की असहिष्णुता बढ़ गई है और तुम ये देस छोड़ कर दूसरे देस जाना चाहते हो| कहाँ जाओगे भैय्ये? कौन देस तुम्हे पलक पांवड़े बिछा कर बुला रहा है, हमें भी बताओ| भैय्ये, ये तो भारत है की इतनी बक** के बाद भी तुमको बर्दाश्त किये हुए है वरना और कहीं तो तुम्हारा नामोनिशान भी नहीं मिलता अब तक|
देखो भैय्ये, हमारी मानो तो तुम इस पचड़े में मत पड़ो, तुम हो भांड आदमी, पिक्चर बनाओ, ठुमके लगाओ, पैसे लो और चलते बनो| हम वादा करते हैं , तुम्हारी पिक्चर देखने हमारे देस की असहिष्णु जनता भीड़ लगा देगी भीड़! इसलिए इस राजनीती के कीचड के चक्कर में मत पड़ो| दंगल करो, दंगे न कराओ| हमारे देस में एक कहावत है भैय्ये “जिसका काम उसीको साजे, और करे तो डंडा बाजे|” तो भैय्ये जब तक डंडा बजने का काम करे तब तक ही सुधर जाओ वरना .........|
और एक बात सुन लो भैय्ये बहुत पते की है, यहाँ बीबी की तो सभी को सुननी पड़ती है पर चौराहे पर ऐलान कोई नहीं करता| भैय्ये, हमारी वाली तो जो सुनाती है उसका जिक्र हम अपने आप से भी नहीं करते और तुम......|
चलो अब इत्ते में समझ आ गई होगी तुम्हे, तो निकलो अब, हमें भी जाना है अब अपनी बीबी की सुनने|
अब तो हद हो गई बर्दाश्त की हमारे भी, हर ऐरा गैरा नत्थू खैरा खड़ा हो कर बकने लग पड़ा है पर हमारी औरत है कि चुप लगा कर बैठी हैं|
खैर, अपनी औरत को तो हम ठीक कर लेंगे पर अभी जरा इन “ऐ आई बी” के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं से तो निपट लें| अच्छा भैये ऐसा क्या हो गया इन महानुभावों को की बजने लगे सब तरफ से| इसी धरती के बाशिंदों के प्यार और दुलार से तो तुम ज़र्रे से आफ़ताब बन गए वरना पड़े रहते किसी कोने में हमारी तरह| अब अर्श पर पहुँच गए तो ये फर्श बरदाश्त नहीं हो रहा तुमको| और उलटे इसे ही कोस रहे हो कि ये तुम्हे सहन नहीं करता|
अपना देस तो भैय्ये, सदियों से इतना सहिष्णु रहा है कि कोई कहीं से भी आ कर बरसों जुलम करे और फिर जाते जाते माल असबाब भी लूट ले जाए तो भी हम कुछ नहीं कहते| इतना सहिष्णु रहा है कि हमारी सारी इतिहास की किताबें उन्ही लुटेरों के बखान से भरी हुई हैं और हम अपने बच्चों को वही झूठा इतिहास पढ़ाते हैं| इतना सहिष्णु रहा है कि मज़हब के नाम पर दो टुकड़े होने के बाद भी ज्यादातरों को यहीं पाल रहा है और तो और खास सहुलतें भी दे रहा है| इतना सहिष्णु रहा है की तुम्हारे जैसे कईयों को सर माथे पे बिठा रखा है| और तुम कहते हो की असहिष्णुता बढ़ गई है और तुम ये देस छोड़ कर दूसरे देस जाना चाहते हो| कहाँ जाओगे भैय्ये? कौन देस तुम्हे पलक पांवड़े बिछा कर बुला रहा है, हमें भी बताओ| भैय्ये, ये तो भारत है की इतनी बक** के बाद भी तुमको बर्दाश्त किये हुए है वरना और कहीं तो तुम्हारा नामोनिशान भी नहीं मिलता अब तक|
देखो भैय्ये, हमारी मानो तो तुम इस पचड़े में मत पड़ो, तुम हो भांड आदमी, पिक्चर बनाओ, ठुमके लगाओ, पैसे लो और चलते बनो| हम वादा करते हैं , तुम्हारी पिक्चर देखने हमारे देस की असहिष्णु जनता भीड़ लगा देगी भीड़! इसलिए इस राजनीती के कीचड के चक्कर में मत पड़ो| दंगल करो, दंगे न कराओ| हमारे देस में एक कहावत है भैय्ये “जिसका काम उसीको साजे, और करे तो डंडा बाजे|” तो भैय्ये जब तक डंडा बजने का काम करे तब तक ही सुधर जाओ वरना .........|
और एक बात सुन लो भैय्ये बहुत पते की है, यहाँ बीबी की तो सभी को सुननी पड़ती है पर चौराहे पर ऐलान कोई नहीं करता| भैय्ये, हमारी वाली तो जो सुनाती है उसका जिक्र हम अपने आप से भी नहीं करते और तुम......|
चलो अब इत्ते में समझ आ गई होगी तुम्हे, तो निकलो अब, हमें भी जाना है अब अपनी बीबी की सुनने|
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