Thursday, April 21, 2016

दुआ



कतरा कतरा जिंदगी जी हमने, और ना किया कोई शिकवा,
मौत मगर एक इकट्ठा ही मिले ये दुआ करिये||

कोशिशे लाख हुईं  कि, ख़्वाब सच हों  वो अनदेखे,
अब मगर नींद भी आ जाये ये दुआ करिये||


यूँ तो सुनते हैं कि फासले अच्छे हैं मुहब्बत के लिए,
विसाल-ए-यार भी अब हो ही जाये, ये दुआ करिये||


खिजां की ख़लिश क्या कम थी औ उस पे ये ताब-ए-खुर्शीद का कहर,
बहारें फिर से आएँगी , ये दुआ करिये||


कुछ सोच कर नहीं थामी थी कलम मैंने अवी,
अब मगर गज़ल बन ही जाये, ये दुआ करिये|

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