कतरा कतरा जिंदगी जी हमने,
और ना किया कोई शिकवा,
मौत मगर एक इकट्ठा ही मिले
ये दुआ करिये||
कोशिशे लाख हुईं कि, ख़्वाब सच हों वो अनदेखे,
अब मगर नींद भी आ जाये ये
दुआ करिये||
यूँ तो सुनते हैं कि फासले
अच्छे हैं मुहब्बत के लिए,
विसाल-ए-यार भी अब हो ही जाये,
ये दुआ करिये||
खिजां की ख़लिश क्या कम थी औ
उस पे ये ताब-ए-खुर्शीद का कहर,
बहारें फिर से आएँगी , ये
दुआ करिये||
कुछ सोच कर नहीं थामी थी
कलम मैंने “अवी”,
अब मगर गज़ल बन ही जाये, ये
दुआ करिये|
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