दोस्तों,
तैयार हो जाईये एक गृहयुद्ध जैसी परिस्थिति के लिए, कल आपने देखा ही एक नए लालू प्रसाद के जन्म को| देश में अलग अलग संगठन, शैक्षणिक संस्थान, विविध विचारधारा के लोग, अविचारी लोग, और ना जाने कौन कौन, सत्ता के विरोध में तरह तरह के हथकंडे सभ्य असभ्य तरीके से अपना रहे हैं और व्यवस्था को हिलाने की कोशिश में जुटे हैं|
कहते हैं इन्हें आज़ादी चाहिए| किससे आज़ादी? ये दो चार दस लोग एक जगह इकट्ठे हो कर अनर्गल बकवास करेंगे और आज़ादी लेंगें| अरे जिनकी दुनिया में बस एक चीन के सिवा कहीं कोई औकात नहीं वो हमारे देश से आज़ादी चाहते हैं, दे दो भैय्या इनको आज़ादी, निकाल फेंको इन्हें इस देश से|
तैयार हो जाईये एक गृहयुद्ध जैसी परिस्थिति के लिए, कल आपने देखा ही एक नए लालू प्रसाद के जन्म को| देश में अलग अलग संगठन, शैक्षणिक संस्थान, विविध विचारधारा के लोग, अविचारी लोग, और ना जाने कौन कौन, सत्ता के विरोध में तरह तरह के हथकंडे सभ्य असभ्य तरीके से अपना रहे हैं और व्यवस्था को हिलाने की कोशिश में जुटे हैं|
कहते हैं इन्हें आज़ादी चाहिए| किससे आज़ादी? ये दो चार दस लोग एक जगह इकट्ठे हो कर अनर्गल बकवास करेंगे और आज़ादी लेंगें| अरे जिनकी दुनिया में बस एक चीन के सिवा कहीं कोई औकात नहीं वो हमारे देश से आज़ादी चाहते हैं, दे दो भैय्या इनको आज़ादी, निकाल फेंको इन्हें इस देश से|
मुझे तो लगता है ये सारा नाटक अड़ोसी पडोसी के निर्देशन में खेला जा रहा है, सूत्रधार के रूप में विदेशी बहुरिया और उनके आधे अधूरे देसी बबुआ हैं और जो सदियों से उनके साथ रहे, या कहें हिन्दुओं के खिलाफ रहे, वो सारे देसी गद्दार इसमें सटीक अभिनय कर रहे हैं| इन सबको केसरिया रंग नहीं भाता, बस लाल रंग बहुत प्यारा है, तो आओ इनका पिछवाडा भी लाल कर दिया जाए|
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