Thursday, December 10, 2015

दिल से रे, दिल से रे|

Justice delayed is Justice denied! सलमान खान छूट जायेंगे! कोर्ट ने कहा की सलमान खान पिए हुए थे या गाड़ी चला रहे थे ये साबित नहीं होता| जियो भैय्ये, बिन पिए हम तेरे वाला चक्कर है क्या| ये तो वो एक चुटकुले वाली बात हो गई जिसमे एक ट्रेन ड्राईवर ट्रेन ले कर खेतों में घुस गया था| चलो सलमान खान के प्रशंसक खुश हो जायेंगे पर उन लोगों का क्या जो उस रात मर गए? वो क्या जान बूझ कर भाईजान की गाड़ी के नीचे आ गए थे मरने के लिए| खैर अब जो भी हो, इतने सालों में पी हुई उतर ही गई होगी| मगर पी  किस ने थी ये बात सोचने की है, जाँच कर्ताओं ने, पुलिस ने या कोर्ट ने? पता नहीं भैय्ये, किसने पी थी पर चढ़ तो गई उन मरने वालों पर| हम आप ने चढ़ा दी होती तो अब तक मर खप गए होते जेलों में, पर भैय्ये पैसा पास हो तो कोई ना कोई सूरत निकल ही आती है सीरत सुधारने की| अब तो संजय दत्त को भी छोड़ने की बात हो रही है भैय्ये, वो भी छूट जायेंगे, चलो देर आयद दुरुस्त आयद| अब इन को ले कर बड़ी बड़ी फ़िल्में बनेंगी और हम आप उल्लुओं की तरह हजारों रुपये खर्च कर देखने जायेंगे| सही कहा है हम भारतीय अखंड हैं|

एक और समाचार ने आज का दिन बना दिया, बिहार की जेलों में अब पंच तारांकित भोजन कैदियों को परोसा जायेगा| भैय्ये वो बचपन से जो पोशम्पा भाई पोशम्पा खेलते थे सब बेनामी हो जायेगा| "पोशम्पा भाई पोशम्पा, डाकुओं ने क्या किया, सौ रूपए की घडी चुराई, अब तो जेल में जाना होगा, जेल की रोटी खाना होगा|" अब तो जेल जाने की होड़ लग जाएगी भैय्ये| 
सोचिये कैदी डाइनिंग टेबल पर बैठा है और वार्डेन पूछ रहा है " क्या खायेंगे साहब आप" बटर चिकेन, रोगनजोश, नान, आइसक्रीम|" और कैदी की फरमाइश इटालियन खाने की है, "टुडेज़ स्पेशल में क्या है आज|" 

वाह कल्पना करने से ही मुंह भीग गया भैय्ये|
अच्छा और एक राज जो आज खुला वो ये की चुनावों से पहले ही बिहार की जेलों में जिम, स्विमिंग पूल, रिक्रिएशन रूम, खेल संकुल आदि आदि का इंतेजाम हो चुका है और कैदियों को इन सारी सहुलतों का आनंद मिल रहा है| वाह वाह क्या बात है भैय्ये| अब तो अपने राम की मंशा कुछ कर गुजरने की हो रही है| ऐसा मजा अगर जेलों में मिलने वाला है तो बेकार ही बबुआ और उनकी माई हंगामा किये हुए हैं| अब तुमने सौ रूपए की घडी नहीं, १०० करोड़ की चीजें चुराईं हैं तो तुम्हारे लिए तो विशेष व्यवस्था होगी भैय्ये, फिकिर नॉट| और जरा सोचो तो, की ये सब बिहार की जेलों में ही क्यूँ , तो भैय्ये, वहां सत्ताधारी लोगों की जरूरत है ये, जाने कब अन्दर जाना पड जाये| बस अब कमी है तो एक समुन्दर की, बीच की, फार्म हाउस की, मल्टीप्लेक्स की और ना जाने किस किस की| वो भी हो ही जायेगा कहते हैं ना की " भेन देयर इज ए भिल देयर इज ए भे|"

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