भीड़
भीड़ में घुटता है दम मेरा, मुझे चाह बस एकांत
की|
बंद आँखों में भीड़ है, अधूरे ख्वाबों की,
खुली आँखों में, मंजिलों औ राहों की|
भीड़ विचारों की मेरे जेहन में, और हजारों की
मेरे सेहन में,
भीड़ अनजाने अनचीन्हे चेहरों की मेरे आस पास,
भीड़ में ही हो रहा मेरा जीवन प्रवास ||
भीड़ समस्याओं की मेरे सामने, भीड़ सलाहों की औरों की जुबां पे,,
रिश्ते नाते भी तो हैं भीड़ का हिस्सा, भीड़ उनसे उपजे कर्तव्यों की,
भीड़ है जिंदगी और मौत है एकांत ||
भीड़ में घुटता है दम मेरा ,मुझे चाह बस एकांत
की|
- अवी घाणेकर
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