Thursday, March 24, 2016

इंद्र धनुष

भैय्ये बहुत सालों बाद इच्छा हुई इस बरस होली खेलने की, इन बीच के सालों में पता नहीं किन चक्करों में होली हुई ही नहीं| अपन को बचपन से जान्ने वाले जानते हेंगे की होली आने के ५/७ दिनों पहले ही अपनेराम मुडिया जाते थे और ऐसी ऐसी होली खेलते थे की राम भजो| खैर अब इन्ने सालों  बाद होली की याद आई तो अपनेराम निकल पड़े होली के हुडदंग में सामिल होने| अपन एक सहर में रहते हैंगे जहाँ आबादी को सेक्टरों में बाँट रखा है भैय्ये| सेक्टर को हमारे सहर में और हमारी रास्ट्र भासा में जनवृत्त कहते हैंगे  लेकिन हम तो सेक्टर ही कहेंगे भैय्ये वरना लोग हमारे पर बामपंथी होने का लांछन लगाने से नहीं चूकेंगे| नहीं समझे? अरे भैय्ये सारे शब्द जो जन से सुरु होते हैंगे जैसे जनवादी, जनयू इन सब पर बस एक ही बिचारधारा का हक है और वो “साड्डा हक ऐथे रख” वाली मानसिकता के पुजारी हैंगे| खैर..... तो बात रही ऐसी की अपनेराम निकल पड़े सेक्टरों में माहौल देखने| एक बात और बताते चलें की भैय्ये होली के दिन मोटर कार, स्कूटर, साईकिल से नहीं निकलना बस भंग की या वोदका की तरंग में पैदल ही निकलना तबई होली का असली मजा आवेगा| अब तुम सोच रहे होगे की भंग तो ठीक है ये सुसरी वोदका कहाँ से आ गई खालिस हिन्दुस्तानी त्यौहार में| तो भैय्ये एक तो अपनेराम के बचपन के समय रसियन परभाव था हैगा इस देश में और दुसरे वोदका होती है रंगहीन तो जिनको पता नहीं लगना चईये उन्हें पता नहीं लगता और अपनेराम फुल तरंग का मजा भी ले लेते हैंगे, और तीसरे अब रसिया बामपंथी रहा नहीं तो VODKA IS  “RIGHT” CHOICE BABY!!!
अपनेराम घर से निकले ही थे की सामने से एक टोली सेक्टर ९ से आ रही थी, सेक्टर ९ हमारे सहर में सबसे बड़ा, सबसे जादा आबादी वाला और सबसे गन्दा सेक्टर हैगा| इस सेक्टर में रोजई कोई ना कोई कांड होता रहता हैगा| इस टोली में सब के सब बस लाल रंग में रंगे दिख रहे थे हैगे और उनके पास रंग भी लाल ही था हैगा| एक अजीब बात थी की ये २०/२५ लड़के लुडके  रस्ते की दायीं तरफ चल रहे थे और सारे ट्रेफिक को अस्तव्यस्त कर रहे थे| इनका लीडर बात बात में लाल सलाम की बात करता था और उसे होली से कोई मतलब नहीं था हैगा|वो तो गाना भी गा रहा था “साड्डा हक ऐथ्थे रख”| इनके पास पिचकारियों के नाम पे चाइनीस खिलौने थे और बड़े खूंखार दिख रहे थे हैगे| अपनेराम समझ गए की भैय्ये ये सब ससुर बामपंथी हैंगे जो सारे देश को लाल करने में लगे हुए हैं अब वो लाल रंग खून का हो तो भी चलेगा| बड़ी मुश्किल से अपनेराम इस लाल रंग से बचते हुए बायीं तरफ से भाग निकले|
अभी कुछ दूर गए ही थे की एक बहुत बड़ा रंग भरा गुब्बारा अपनेराम के सर पर आ पड़ा और अपनेराम सर से पांव तलक सिन्दूरी रंग में रंग गए| कुछ देर बाद जब होश आया तो सामने एक बड़ा हुजूम पूरे गणवेस में राष्ट्र भक्ति के गीत गाता चला आ रहा था हैगा और बीच  बीच में भारत माता की जय के नारे भी लगा रहा था| अपने राम को बात कुछ समझ नहीं आई की भैय्ये होली के हुडदंग में ये भारत माता की जय का क्या मतलब, पर भैय्ये ये नसल तो अपनी सुहाग रात भी इसी नारे से सुरु करती हैगी तो  फिर होली की क्या बात| ठीक है भैय्ये देसप्रेम होना चईये हरेक देसवासी में, पर दिखावा करने की जरुरत तो ना हैगी| हम देस से प्रेम करे हैं तो देस को नुकसान पहुँचाने वाला कोई काम न करें और कोई कर रहा हो तो उसे रोकें क्या इस बात से अपनेराम का देशप्रेम नहीं दीखता? लेकिन अब इन्हें कौन समझाए? अपनेराम ने भी होली के रंग में और वोदका की तरंग में दो चार बार भारत माता की जय बोल कर अपना देसप्रेम साबित किया और आगे बढ़ गए|
अगले चौराहे से अपनेराम मुड़े ही थे की कुछ लोग छातियाँ पीटते एक दुसरे पर रंग उछाल रहे थे इसी समय सेक्टर ९ वाली टोली भी इन सब में सामिल हो गई और फिर तो जो रंगों की बौछार हुई है की पूछो मत|सेक्टर ९ वाली टोली का लाल रंग और इस छातियाँ पीटने वाली टोली का हरा(नीले और पीले  का मेल) रंग दोनों मिल के इन दोनों टोलियों के दिल का रंग निखर आया और सारी होली अब काली हो गयी| अपनेराम इस काली होली से बचते बचाते अगले सेक्टर पहुंचे तो तब तक यहाँ होली हो ली थी|
अपनेराम ने सोचा की अब और सेक्टरों में जाने का कोई मतलब नहीं और घर की तरफ बढ़ लिए| वापसी के सफ़र में अपनेराम सोच रहे थे की अजब होली है भैय्ये, हर एक अपने अपने रंग पकडे हुए है और उसी में सबको रंगना चाहते हैं| अरे भैय्ये हमारा अपना कोई रंग है की नहीं या बस ये दो तीन रंग ही बच गए हैं इस देस में? हम तो इस देस के इन्द्रधनुषी रंग में रंगना चाहते हैं भैय्ये और उस रंग के ऊपर और कोई रंग ना चढ़े इस की दुआ मांगते हैं| अपनेराम को परहेज नहीं है किसी भी रंग से पर किसी एक रंग में रंग जाना भी अपनेराम की फितरत नहीं है तो भैय्ये हमें ऐसे ही रहने तो ईस्ट मैन कलर और सारे देस को भी रंग दो इसी इन्द्रधनुषी रंग में|


होली की शुभकामना भैय्ये और वोदका कम पड गई हो तो आ जाओ इसमें जो रंग मिलेगा ये उसी रंग की हो जाएगी भैय्ये, इसलिए चिंता न करो और लगाओ नारा होली है , बुरा ना मानो होली है|  

Sunday, March 13, 2016

उठो लाल अब आँखें खोलो!!!!

दोस्तों, 
तैयार हो जाईये एक गृहयुद्ध जैसी परिस्थिति के लिए, कल आपने देखा ही एक नए लालू प्रसाद के जन्म को| देश में अलग अलग संगठन, शैक्षणिक संस्थान, विविध विचारधारा के लोग, अविचारी लोग, और ना जाने कौन कौन, सत्ता के विरोध में तरह तरह के हथकंडे सभ्य असभ्य तरीके से अपना रहे हैं और व्यवस्था को हिलाने की कोशिश में जुटे हैं| 
कहते हैं इन्हें आज़ादी चाहिए| किससे आज़ादी? ये दो चार दस लोग एक जगह इकट्ठे हो कर अनर्गल बकवास करेंगे और आज़ादी लेंगें| अरे जिनकी दुनिया में बस एक चीन के सिवा कहीं कोई औकात  नहीं वो हमारे देश से आज़ादी चाहते हैं, दे दो भैय्या इनको आज़ादी, निकाल फेंको इन्हें इस देश से| 

मुझे तो लगता है ये सारा नाटक अड़ोसी पडोसी के निर्देशन में खेला जा रहा है, सूत्रधार के रूप में विदेशी बहुरिया और उनके आधे अधूरे देसी बबुआ हैं और जो सदियों से उनके साथ रहे, या कहें हिन्दुओं के खिलाफ रहे, वो सारे देसी गद्दार इसमें सटीक अभिनय कर रहे हैं| इन सबको केसरिया रंग नहीं भाता, बस लाल रंग बहुत प्यारा है, तो आओ इनका पिछवाडा भी लाल कर दिया जाए| 

इन सब चक्करों में हमारे देश की प्रगति, विकास, सरकार द्वारा किये हुए उल्लेखनीय कार्य सब परदे के पीछे छुप गए हैं, और सामने हैं इन भांडों की नौटंकी| हमारे देश का बिका हुआ मिडिया इस नौटंकी को ही दिखा रहा है और हम आप जैसे सामान्य जन इस नौटंकी को यथार्थ समझ रहे हैं| लोगों को जागरूक होना जरुरी है इन भीतरी दुश्मनों के प्रति वरना देश गृहयुद्ध जैसी परिस्थिति का सामना कर रहा होगा और इसका फायदा इस देश के बाहरी दुश्मन उठा जायेंगे| ये सब नौटंकी बाज़ अपनेआप को महानायक समझते हैं और कुछ पत्रकारों आदि ने तो उस नवलालू को चे गुरेवा का अवतार तक घोषित कर दिया| ठीक है भैय्ये कर लो कुछ दिन नौटंकी, लेकिन ये जान लो की जनता तुम सब भांडों का असली रूप पहचान रही है और जल्दी ही तुम्हे तुम्हारी औकात दिखा देगी|

अभी सत्ता को चाहिए की इन सब नाटकों को अनदेखा करे और जिन विकास के कामों में वो लगी हुई है उन्हें जारी रखे|अपनी शक्ति इन भांडों के नाटक का प्रत्युत्तर देने में जाया न करे और जनता के सामने अपनी उपलब्धियां लाये और जनता का विश्वास जीते| ये विश्वास रखें की right हमेशा सही ही होता है वो विचारधारा हो या दिशा(डायरेक्शन)

एक और बात जो मेरे छोटे से अविकसित दिमाग को नहीं समझ आती वो ये की(इसे अंग्रेजी में ही कहना होगा) 

HOW the hell every "RIGHT" thing becomes "LEFT"